
Rajkamal Prakashan
Main Janak Nandini
Product Code:
9788126730223
ISBN13:
9788126730223
Condition:
New
$41.36

Main Janak Nandini
$41.36
भारितीय मानस का अर्थ केवल पढ़े लिखे शिक्षितों का मानस नहीं है. उसका मूल अभिप्राय है - लोक मानस. इस लोक मानस की भारतीयता का लक्षण है - काल के आदिहीन, अंतहीन प्रवाह की भावना.. जनमानस में आज तक सीता का मूक स्वरुप विद्यमान है. सौम्यस्व्रूपा आज्ञाकारी पुत्री का, जो बिना तर्क वितर्क या प्रतिरिओध किये पिता का प्रण पूर्ण करने हेतू या पुत्री धर्मं के निर्वाह हेतू उस किसी भी पुरुष के गले में वरमाला दाल देती है, जो शिव के विशाल पिनक पर प्रत्यंचा का संधान कर देता है. उस समर्पिता, सहधर्मिणी या सह-गामिनी पत्नी का जो सहज्भ्हाव से राज्य सुख तथा वैभव त्यागकर पति राम की अनुगामिनी बनकर उनके संग चल देती है चुनौती भरे वन्य जीवन के दुखों को अपनाने. सीता के चरित पर अनके ग्रन्थ लिखे गए हैं, अधिकांश में उन्हें जगजननी या देवी मानकर पूजनीय बनाया गया है. किन्तु मानवी मानकर उनके मर्म के अन्तःस्तल तक पहुँचने.. उनके मर्म की था लेने की चेष्टा न के बराबर की गयी है. उनके प्रती किये गए राम के सारे निर्णय को उनकी मौन स्वीक्रति मानकर राम की म्हणता, मर्यादा तथा उत्तमता की और महिमामंडित किया गया है. क्या वास्तव में ऐसा था ? क्या सीता के पास अपने प्रति किये जा रहे अविचार के प्रत
Author: Asha Prabhat |
Publisher: Rajkamal Prakashan |
Publication Date: Aug 01, 2017 |
Number of Pages: 322 pages |
Binding: Hardback or Cased Book |
ISBN-10: 8126730226 |
ISBN-13: 9788126730223 |