Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Abhyudaya Ram Katha-II (अभ्युदय राम कथा- II)
Product Code:
9788128400278
ISBN13:
9788128400278
Condition:
New
$33.08
Abhyudaya Ram Katha-II (अभ्युदय राम कथा- II)
$33.08
ऋषि विश्वामित्र के समान मुझे और मेरे समय को भी श्रीराम की आवश्यकता है, जो इंद्र और रूढिबद्ध सामाजिक मान्यताओं की सताई हुई, समाज से निष्कासित, वन में शिलावत् पड़ी अहल्या के उद्धारक हो सकते; जो ताड़का और सुबाहु से संसार को छुटकारा दिला सकते; मारीच को योजनों दूर फेंक सकते; जो शरभंग के आश्रम में 'निसिचरहीन करौं महि' का प्रण कर सकते; संसार को रावण जैसी अत्याचारी शक्ति से मुक्त करा सकते।
किंतु वे मानव शरीर लेकर जन्मे थे। उनमें वे सहज मानवीय दुर्बलताएं क्यों नहीं थीं, जो मनुष्य मात्र की पहचान हैं? आदर्श पुरुष त्याग करते हैं; किंतु यह तो त्याग से भी कुछ अधिक ही था, जहां आधिपत्य की कामना ही नहीं थी। यह तो आदर्श से भी बहुत ऊपर - मानवता की सीमाओं से बहुत परे - कुछ और ही था। श्रीराम में कामना नहीं, मोह नहीं, लोभ नहीं, क्रोध नहीं। ऐसा मनुष्य कैसे संभव है? मेरे विपक्षी रुष्ट हैं कि राम उनके जैसे क्यों न हुए? कंचन और कामिनी का मोह उन्हें क्यों नहीं सताता? राज्य, धन, संपत्ति और सत्ता से उपलब्ध होने वाले विलास और व्यसन उन्हें लालायित क्यों नहीं करते? ईर्ष्या, शत्रुता और प्रतिशोध के भाव उनके मन में क्यों नहीं जागते? गोस्वामी जी ने कहा है, "निज इच्छा निर्मित तन&
किंतु वे मानव शरीर लेकर जन्मे थे। उनमें वे सहज मानवीय दुर्बलताएं क्यों नहीं थीं, जो मनुष्य मात्र की पहचान हैं? आदर्श पुरुष त्याग करते हैं; किंतु यह तो त्याग से भी कुछ अधिक ही था, जहां आधिपत्य की कामना ही नहीं थी। यह तो आदर्श से भी बहुत ऊपर - मानवता की सीमाओं से बहुत परे - कुछ और ही था। श्रीराम में कामना नहीं, मोह नहीं, लोभ नहीं, क्रोध नहीं। ऐसा मनुष्य कैसे संभव है? मेरे विपक्षी रुष्ट हैं कि राम उनके जैसे क्यों न हुए? कंचन और कामिनी का मोह उन्हें क्यों नहीं सताता? राज्य, धन, संपत्ति और सत्ता से उपलब्ध होने वाले विलास और व्यसन उन्हें लालायित क्यों नहीं करते? ईर्ष्या, शत्रुता और प्रतिशोध के भाव उनके मन में क्यों नहीं जागते? गोस्वामी जी ने कहा है, "निज इच्छा निर्मित तन&
| Author: Narendra Kohli |
| Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd |
| Publication Date: Jul 19, 2023 |
| Number of Pages: 594 pages |
| Binding: Paperback or Softback |
| ISBN-10: 8128400274 |
| ISBN-13: 9788128400278 |