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Sanage Publishing House Llp

दिमागी गुलामी Dimagi Gulami

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Product Code: 9789362051615
ISBN13: 9789362051615
Condition: New
$15.43

दिमागी गुलामी Dimagi Gulami

$15.43
 
'जिस जाति की सभ्यता जितनी पुरानी होती है, उसकी मानसिक दासता के बन्धन भी उतने ही अधिक होते हैं। भारत की सभ्यता पुरानी है, इसमें तो शक ही नहीं और इसलिए इसके आगे बढ़ने के रास्ते में रुकावटें भी अधिक हैं। मानसिक दासता प्रगति में सबसे अधिक बाधक होती है।' राहुल सांकृत्यायन की पुस्तक ' दिमाग़ी गुलामी' का यह शुरुआती अंश है।
यह जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, वह मनुष्य के भ्रम की शल्यचिकित्सा करते चले जाते हैं। हम भूत पर उंगली तो रखते हैं, लेकिन भविष्य पर दृष्टि नहीं। वह समझाते हैं कि किस तरह मनुष्य अनेक तरह के संकीर्ण विचारों की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। यह बेड़ियाँ राष्ट्रवाद, प्रांतवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, नृजातीय संघर्ष आदि हैं। यह संकीर्ण विचार ही मनुष्य से मनुष्य में आपसी झगड़े का कारण बन रहे हैं और देश के विकास में बाधक हैं। इसलिए इन अनर्गल विचारों से मुक्ति ही मानसिक दासता की बेड़ियों को तोड़ने के समान है।





Author: Rahul Sankrityayan
Publisher: Sanage Publishing House Llp
Publication Date: Jul 02, 2024
Number of Pages: 86 pages
Binding: Paperback or Softback
ISBN-10: 9362051613
ISBN-13: 9789362051615
 

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