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प्रस्तुत ग्रंथ में लेखक ने बाली एवं जावा द्वीपों के विशेष संदर्भ में, इण्डोनेशिया की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत को संजोया है जो आज भी हिन्दुत्व की छाया में फल-फूल रहा है। हिन्द महासागर में स्थित 17,508 द्वीपों वाला देश इण्डोनेशिया, मानव सभ्यताओं के उषा काल में भारत का हिस्सा था। ऋग्वैदिक काल में यहाँ भारतीय आर्य तथा द्रविड़ जातियाँ निवास करती थीं। रामकथा के काल में इण्डोनेशिया के अनेक द्वीप लंका से जुड़े हुए थे। गुप्तकाल के आगमन तक ये द्वीप समुद्र में दूर तक छितराकर ऑस्ट्रेलिया तथा मेडागास्कर तक चले गए जिनमें भारतीय आर्य राजकुमारों के राज्य थे। पांचवी शताब्दी के प्रारम्भ में चीनी यात्री फाह्यान ने इन द्वीपों के हिन्दुओं को यज्ञ-हवन करते हुए देखा था। आज के बाली द्वीप में गाय-गंगा, गेहूँ, घी-दूध-छाछ, मूंग-मोठ उपलब्ध नहीं हैं किंतु बाली के हिन्दू राम और रामायण को मजबूती से पकड़े हुए हैं। ये बुराइयों पर अच्छाई की विजय का पर्व गलुंगान मनाते हैं तथा स्वर्ग से आने वाले पितरों का श्राद्ध करते हैं। बाली के हिन्दुओं में फिर से शाकाहारी बनने का व्यापक आंदोलन चल रहा है।
Author: Mohanlal Gupta |
Publisher: Shubhada Prakashan Jodhpur |
Publication Date: Oct 08, 2017 |
Number of Pages: 178 pages |
Binding: Hardback or Cased Book |
ISBN-10: 9386813009 |
ISBN-13: 9789386813008 |