गांधीजी एक व्यक्ति के रूप में और कहीं एक नेता के रूप में भी अनेकों लोगों को स्वीकार्य हो सकते हैं। आपत्ति इस बात पर होती है, जब उन्हें भारतीय स्वाधीनता आंदोलन का एकमात्र नायक सिद्ध किया जाता है और इस सिद्धि के बेतुके प्रयास में उन्हें 'राष्ट्रपिता' घोषित कर दिया जाता है। उन्होंने भारतीय इतिहास की परिभाषा को बदलने का उस समय प्रयास किया जब उन्होंने अहिंसा का गलत अर्थ करते हुए निर्मम और आततायी विदेशी शासक के विरुद्ध चल रहे क्रांतिकारी आंदोलन को 'आतंकी आंदोलन' कहा।
प्रस्तुत पुस्तक में डॉक्टर आर्य ने देश के लोगों को यह बताने का प्रयास किया है कि गांधीवाद की काली छाया ने देश को किस प्रकार अंधेरी सुरंग में धकेल दिया है?
17 जुलाई, 1967 को उत्तर प्रदेश के जनपद गौतम बुद्ध नगर के महावड़ नामक गांव में जन्मे लेखक की अब तक 57 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ. आर्य का स्पष्ट मानना है कि जिस प्रकार गांधी जी ने शत्रु के समक्ष घुटने टेक कर माफी मांगने की मुद्रा को अपनी राजनीति का सफलतम प्रयोग कहा और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारियों ने भी देश को इसी नीति पर डाल दिया वह पूर्णतया गलत था। जिसका परिणाम यह हुआ कि स्वतंत्र भारत में भी आतंकियों के सामने सरकì
| Author: Rakesh Kumar Arya |
| Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd |
| Publication Date: Jul 07, 2021 |
| Number of Pages: 154 pages |
| Binding: Paperback or Softback |
| ISBN-10: 9390960754 |
| ISBN-13: 9789390960750 |