
Holistic Publishing
यक़ीन से मुमकिन तक

यक़ीन से मुमकिन तक
मैं वंदन राज टाक, यह कविताओं की किताब लिखने का मेरा मक़सद यह है की, मैं अपने जज़्बातों को और अपनी सोच को शब्दों का रूप देकर लोगों के अंदर भरपूर आत्म विश्वास देकर अभिप्रेरण से जीवन जीने को प्रोत्साहित कर सकूँ, इन कविताओं में मैंने मंज़िल को स्वाभिमान के साथ पाने के लिए जिन जिन भी ख़ूबियों की ज़रूरत होती है, उन सभी बातों को लिखा है ... जैसे - "मंज़िल को पाने के लिए इम्तिहान देना" "जुनून रखना" "ख़ुद की क़ीमत को पहचान ना" " सब्र रखना" " हिम्मत रखना" " समय की कद्र करना" " योद्धा होने की पहचान बन ना" " रातों को जाग कर मंज़िल के लिए संघर्ष करना" " समय को हक़ में करने का हुनर रखना" " मोहब्बत से ज़्यादा मंज़िल के लिए जुनून रखना" " मददगार होना" " हर ज़ुबान पे चर्चे होना" " नकारात्मक लोगों को अनसुना करना" " अपने भीतर की ख़ूबियों को जान ना" " क़ाबिल बन ना" " सकारात्मक रहना" " हौसला रखना" " शौक़ को भुला कर कर्म करना" " अपने आप को वक़्त देना" " अनंत से भी आगे का सोचना" " कुछ भी नामुमकिन ना समझना" " मुश्किलें सहन करना" " ख़्वाबों के पीछे जाना" " दृढ़ निश्चय रखना" " ख़ुद पे यक़ीन रखना" " नैतिकता और नीति के साथ आगे बढ़ना" " स्वाभिमान रखना" " वक़्त के उतार चढ़ाव को समझना" " बाक़ियों से अलग बन ना" " ख़ुद का बैहतर किरदार &
Author: राज टा |
Publisher: Holistic Publishing |
Publication Date: Apr 24, 2024 |
Number of Pages: 72 pages |
Binding: Paperback or Softback |
ISBN-10: 9393262756 |
ISBN-13: 9789393262752 |