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Notion Press

Kab Hogi Bhet

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Product Code: 9798885303712
ISBN13: 9798885303712
Condition: New
$13.77

Kab Hogi Bhet

$13.77
 

सींग कटा कर नाटक मंडली के बछड़ों में शामिल हुए थे परमानंद काका, पर ऐन मौके पर बीमार पड़ गये और आवाज तक बैठ गयी। ऐसे में रुकुमा का प्रवेश होता है। रुकुमा का कहॉं तो एकदम व्]यवस्थित धरेलू जीवन था। शादी पहले से ही तय थी। और यहाँ नाटक मंडली में स्]टेज में लड़की का भेष धारे गजेन्]द्र से टकराती है। प्]यार में ऐसे डूबती है कि सब संयम दरकिनार हो जाते हैं।

धनसिंह को लगता था कि गजेन्द्र और रुकुमा का प्यार कुमाऊँ की प्रेमकथा का एकदम आधुनिक और आकर्षक संस्करण है। कैसा था उनका प्रेम? नायक अपनी नायिका से प्रथम मिलन में एक लोकगीत के सहारे पूछता है कि हे प्रेयसी, जाई और चंपा के फूल खिले हैं। खेत में सरसों फूली है। आज के दिन इस महीने हम मिले हैं, अब फिर कब होगी भेंट? जब भेंट हुई तो सिर में डंडे खाये, पहाड़ की चोटी से धकेला गया। याददास्]त तक चली गयी। वह तो भला हो चिंतामणि वैद्य और उसकी नातिनी का कि समय लगा पर याददास्त लौट आयी। इस बीच रुकुमा पर क्या बीती? हास्य रस से भरपूर, उत्]तराखण्]ड में रची-बसी एक बेहद दिलचस्प प्रेम कहानी।




Author: Mathura Kalauny
Publisher: Notion Press
Publication Date: Mar 09, 2022
Number of Pages: 122 pages
Binding: Paperback or Softback
ISBN-10: NA
ISBN-13: 9798885303712
 

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