1939 में हिमालय के एक कस्बे में जन्मे गंगा प्रसाद विमल हिंदी के अग्रणी कथा लेखकों में से एक हैं। अब तक हिंदी में उनके ग्यारह कथा-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। विश्व भाषाओं में उनकी कहानियों का अनुवाद 1964 से ही आरंभ हो गया था। अनेक भाषाओं में उनकी कथाओं के संचयन हुए तथा 1992 में लंदन के फारेस्ट पब्लिशर्स से उनका वृहद संकलन 'लालिस्यान' द्विभाषी रूप में प्रकाशित हुआ। उनके उपन्यासों के भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुए।
कथाओं के अतिरिक्त गंगा प्रसाद विमल की अनेक गद्य कृतियाँ भी प्रकाशित हुई हैं। साहित्य-सृजन के लिए उन्हें अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं। एक चौथाई शताब्दी तक अध्यापन करने के पश्चात् वे कुछ वर्ष भारत सरकार के केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक भी रहे। उसी काल में बाद में वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अनुवाद के प्रोफेसर व अपने विभाग के अध्यक्ष नियुक्त हुए। आजकल स्वतंत्र लेखन में सक्रिय हैं।
Author: Ganga Prashad Bimal |
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd |
Publication Date: Jan 18, 2022 |
Number of Pages: 202 pages |
Binding: Paperback or Softback |
ISBN-10: 8128820575 |
ISBN-13: 9788128820571 |