
Redgrab Books pvt ltd
Devdar Ka Dukh
Product Code:
9788195938810
ISBN13:
9788195938810
Condition:
New
$12.85

Devdar Ka Dukh
$12.85
मैंने सोचा था कि कभी कोई किताब लिखूँ गाए लेकिन पहली ही पुस्तक कविता की होगी ये न सोचा था क्यकि अगर साहित्य के विद्यार्थी के रूप में कहूँ तो कविता लिखना अधिक मुश्किल काम है। अब इस मुश्किल काम को मैं कितना निभा पाया वो तो पाठक ही बताएँगेए फ़िलहाल ये बता दँ कि ये कविताएं चिट्ठियाँ हैं। मुझे तो लगता है सारी ही कविताएं चिट्ठियाँ होती हैं। वो चिट्ठियाँ जो अपने पते पर नही पहुँच पाती हैं। कुबेरनाथ राय ने अपने एक लेख में ऋग्द वे का उद्धरण देते हुए कवि को ष्ऋषिष् कहा है। मेरे ख़याल में कवि के लिए ये सबसे सुंदर शब्द है क्यकि ऋषि दृष्टा होते हैं और कवि भी। कवि होने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप दृष्टा अन्य सभी अहर्ताओंको मैं गौण समझता हूँ। आदमी जब सबसे अधिक भाव विह्वल होता है तब लिखता है कविताएं। हालाकि ज़्ं यादातर कविताएं निजी होती हैं लेकिन उनकी सार्थकता तभी है जब वे सार्वजनिक हो जाए। जब कोई उसे पढ़ते ही कहे कि श्ये तो मेरे मन की बात है।श् सौ पैमाने गढ़ेए पूरा काव्यशास्त्र रच दिया लेकिन इससे कविता का कु छ भी न बदला। मैं मानता हूँकविता परिभाषा की परिधि को अक्सर लाँघ जाती हैए इसलिए जो बात सहज और सुरूचिपूर्ण ढंग से कही गई हो वही कविता है। लयए
Author: Vidhya Bhushan |
Publisher: Redgrab Books Pvt Ltd |
Publication Date: Aug 03, 2023 |
Number of Pages: 64 pages |
Binding: Paperback or Softback |
ISBN-10: 8195938817 |
ISBN-13: 9788195938810 |